वो कहने लगी नकाब मे भी पहचान लेते
हो हजारो के बीच?
मेने मुसकुरा कर कहा तेरी आंखो से ही शुरु हुआ था "इश्क"
हजारो के बीच...
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Ishq
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"अधूरे मिलन की आस हैं जिंदगी,सुख-दुःख का एहसास हैं जिंदगी,फुरसत मिले तो ख्वाबो में आया करो,आप के बिना बड़ी उदास हैं जिंदगी "
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"हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ.. हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ.. सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बातें.. अब खुद पे बीती तो...
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कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे घर से, किसको पता था कि घर जाना ही एक सपना बन जायेगा....